दोस्तों इस ब्लॉग में हम दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण से लेकर रोचक तथ्य तक करीब 15 से ज्यादा बिंदुओं पर बात करेंगे। इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़ें और अपने सुझाव तथा अनुभव कमेंट में जरूर लिखें।


चलिए सबसे पहले जानते हैं ग्रहों के सूर्य से दूरी के बारे में,
हमारा पृथ्वी सूर्य से करीब 14 करोड़ 95 लाख किलोमीटर दूर है। और यह सौर मंडल का तीसरा (स्थान पर) ग्रह है। जबकि मंगल ग्रह सूर्य से करीब 22 करोड़ 79 लाख किलोमीटर दूर है। और यह सौर मंडल का चौथा (स्थान पर) ग्रह है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
सूर्य से दुरी | 14 करोड़ 95 लाख किलोमीटर | 22 करोड़ 79 लाख किलोमीटर |
सौर मंडल में स्थान | तीसरा | चौथा |
बात करें अगर द्रव्यमान की तो पृथ्वी का वजन 5.97234×1024 किलोग्राम है। जबकि मंगल का द्रव्यमान 6.4171×1023 किलोग्राम है। इस तरह मंगल ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी से सिर्फ 10% हीं है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
द्रव्यमान | 5.97234×1024 किलोग्राम | 6.4171×1023 किलोग्राम |
पृथ्वी के तुलना में प्रतिशत | — | 10% |
अब बात करते हैं आयतन और घनत्व की,
आयतन की बात करें तो पृथ्वी का आयतन 1.08 321×1012 घन किलोमीटर है। जबकि मंगल का आयतन 1.63 18×1011 घन किलोमीटर है। बता दें कि मंगल का आयतन पृथ्वी के आयतन का सिर्फ 15% है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
आयतन | 1.08 321×1012 घन किलोमीटर | 1.63 18×1011 घन किलोमीटर |
पृथ्वी के तुलना में प्रतिशत | — | 15% |
दोस्तों मंगल, मरकरी यानी बुध के बाद सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। और इसका कुल सतही क्षेत्रफल 1,44,79,85,00 वर्ग किलोमीटर है। जबकि हमारी पृथ्वी का कुल सतही क्षेत्रफल 5,10,07,20,00 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें 1,48,94,00,00 वर्ग किलोमीटर ज़मीन और 3,61,13,20,00 वर्ग किलोमीटर पानी है। इस तरह मंगल का सतही क्षेत्रफल पृथ्वी का सिर्फ 28% हीं है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
कुल सतही क्षेत्रफल | 5,10,07,20,00 वर्ग किलोमीट | 1,44,79,85,00 वर्ग किलोमीटर |
पृथ्वी के तुलना में प्रतिशत | — | 28% |
चलिए अब जानते हैं कि किस ग्रह पर कौन सी गैस कितने प्रतिशत में मौजूद है। मतलब कि गैस का कंपोजीशन। दोस्तों पृथ्वी पर 78.08% नाइट्रोजन, 20.95% ऑक्सीजन, 0.93 4% आर्गन, 0.408% कार्बन डाइऑक्साइड, और करीब 1% जलवाष्प और दूसरी गैसें से मौजूद है। जबकि मंगल की बात करें तो 95.97% कार्बन डाइऑक्साइड, 1.93% आर्गन, 1.89% नाइट्रोजन, 0.146% ऑक्सीजन, और 0.0557% कार्बन मोनोऑक्साइड मौजूद है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह |
78.08% नाइट्रोजन | 95.97% कार्बन डाइऑक्साइड |
20.95% ऑक्सीजन | 1.93% आर्गन |
0.93 4% आर्गन |
1.89% नाइट्रोजन |
0.408% कार्बन डाइऑक्साइड |
0.146% ऑक्सीजन |
करीब 1% जलवाष्प और अन्य | 0.0557% कार्बन मोनोऑक्साइड |
जैसा कि आपने पढ़ा हीं होगा, कि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण 9.8 मीटर प्रति वर्ग सेकंड है। जबकि मंगल पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण त्वरण का सिर्फ 38% यानी 3.8 मीटर प्रति वर्ग सेकंड है। इसका मतलब अगर आपका वजन पृथ्वी पर 100 किलो है तो मंगल पर आपका वजन सिर्फ 38 किलो होगा।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
गुरुत्वाकर्षण त्वरण | 9.8 मीटर प्रति वर्ग सेकंड | 3.8 मीटर प्रति वर्ग सेकंड |
पृथ्वी के तुलना में प्रतिशत | — | 38% |
दोस्तों पृथ्वी को अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड लगते हैं। जिसे हम पृथ्वी का एक दिन मानते हैं। वहीँ मंगल का 1 दिन पृथ्वी के 1 दिन से बस थोड़ा हीं बड़ा होता है, 24 घंटे 39 मिनट और 35 सेकंड… अगर बात करें सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने की तो पृथ्वी को इस के लिए 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं जिसे हम पृथ्वी का 1 साल कहते हैं। लेकिन अगर बात करें मंगल के 1 साल की तो मंगल को सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में 1 साल 320 दिन 18 घंटे और 12 मिनट लगते हैं।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
अक्षीय घूर्णन काल | 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड | 24 घंटे 39 मिनट 35 सेकंड |
सूर्य के चारों तरफ परिक्रमण काल | 365 दिन और 6 घंटे | 685 दिन 18 घंटे 12 मिनट |
बात करते हैं तापमान की,
मंगल का अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक होता है, और सबसे कम तापमान -143 डिग्री सेल्सियस नापा गया है। वहीँ पृथ्वी का अधिकतम तापमान 56.9 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया है, और सबसे कम तापमान -89.2 डिग्री सेल्सियस मापा गया है। वैसे आपको बता दें कि पृथ्वी कि इस ज्यादा गर्मी की वजह से हीं हम इंसान यहां हैं।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
अधिकतम तापमान | 56.9 डिग्री सेल्सियस | 35 डिग्री सेल्सियस |
न्यूनतम तापमान | -89.2 डिग्री सेल्सियस | -143 डिग्री सेल्सियस |
जैसा कि आप जानते हैं, कि पृथ्वी की सिर्फ एक हीं प्राकृतिक उपग्रह है। और वह है अपना चाँद यानी कि चंद्रमा। लेकिन छोटे से मंगल के दो प्राकृतिक उपग्रह हैं जिसके नाम फोबोस और डैमोस है।
पृथ्वी | मंगल ग्रह | |
प्राकृतिक उपग्रह | चंद्रमा | फोबोस और डैमोस |
चलिए अब आपको एक बहुत हीं रोचक बात बताते हैं। क्या आपको पता है कि हमारे पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्वालामुखी कौन सा है? चलिए मैं हीं आपको बता देता हूं। पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओजस डेल सलारो है, जो सेंट्रल ऐन्डीज़ में है। जिसकी ऊंचाई 6 किलोमीटर है। जबकि मंगल का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी ओलंपस मोस है जो कि पूरे सौर मंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। जी हां सभी ग्रहों के ज्वालामुखी में सबसे ऊंचा है। और इसकी ऊंचाई 21 किलोमीटर से भी ज्यादा है।
दोस्तों, जैसा कि आपको पता है, की पृथ्वी का 71% सतह पानी से घिरा हुआ है। जिसमें से करीब 97% तो सिर्फ समुद्र हीं है और 3% पानी हीं पीने योग्य है। अगर बात करें मंगल की तो यहां पानी की कोई नदी या समुद्र नहीं है, बल्कि कुछ पानी सिर्फ ज़मीन के नीचे ठोस ध्रुवीय टोपी के रूप में है। अगर इस टोपी को पिघला दिया जाए तो इसका पानी मंगल के पूरे सतह को 11 मीटर ऊँचे पानी से भर देगा, यानी बाढ़ नहीं प्रलय आ जाएगा।
अच्छा एक बात बताइए…
क्या आप मंगल पर माचिस जला सकते हैं? क्यों सोच में पड़ गए ना… चलिए मैं आपको बताता हूं। दोस्तों मंगल के खुले वातावरण में हम माचिस तो नहीं जला सकते, क्योंकि वहां ऑक्सीजन की मात्रा बहुत हीं कम है और कार्बन डाइऑक्साइड बहुत ज्यादा। लेकिन अगर किसी बंद जगह पर हम ऑक्सीजन की व्यवस्था कर लें तो माचिस ज़रूर जला सकते हैं।
दोस्तों, हम इंसान मंगल पर जिंदगी की संभावना पिछले कई वर्षों से ढूंढ रहें हैं। दुनियां की बड़ी-बड़ी स्पेस एजेंसीयां दिन रात मंगल की रिसर्च में लगे हुए हैं। अमेरिका और रूस तो बहुत से स्पेस मिशन मंगल पर भेज हीं रहे थे, पर अब तो हमारा देश भारत भी इस दौड़ में शामिल हो चुका है। अपनी पहली हीं कोशिश में हम मंगल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हुए और आने वाले समय में मंगलयान-2 मिशन की भी तैयारी कर रहे हैं।

मंगल पर ना तो ऑक्सीजन है और ना हीं पानी। जो पानी है वह बर्फ के रूप में जमा हुआ है। वहां बहुत से सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। मंगल की सतह में पेड़ पौधे लगाने की क्षमता भी नहीं दिखाई देती। यही सब कारण है कि मंगल पर जीवन की संभावना नहीं दिखती, लेकिन बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी की तरह मंगल पर भी एक समय जीवन था। वहां भी हमारी तरह जीव रहते थे, लेकिन कुछ कारणों से यह सब समाप्त हो गया। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि आज भी मंगल की सतह के नीचे जिंदगी की संभावना हो सकती है। हो सकता है कि कुछ सूक्ष्म-जीव वहां अभी भी जी रहे हो और पृथ्वी की तरह एक दिन ऐसा आए कि वह भी विकसित होकर एक सभ्यता का विकास करे। फिलहाल इस समय तो मंगल पर जिंदगी की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
तो दोस्तों आज के लिए बस इतना हीं। आशा है कि आप को इस पोस्ट से काफी कुछ सीखने को मिला होगा। ऐसे हीं दिलचस्प ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर आएं और अपने सुझाव दें।